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पैरलल यूनिवर्स

 पैरलल यूनिव्हर्स 


(प्रतियोगिता के लिये)


(थीम फंतासी)


'ब्रम्हांड ! ब्रम्हांड याने की यह है क्या ! इस के आगे और पीछे क्या है, यह कहाँतक फैला हुवा है? मतलब इसका दायरा कितना है... इस में कितने ग्रह, उपग्रह है..? इन्ही सब प्रश्नों का उत्तर आजतक कोई भी नहीं दे पाया। इस अनंत फैले ब्रम्हांड में स्थित लाखों करोडो ग्रहों में से पृथ्वी यह हमारा ग्रह है। कई साल पहले यह माना जाता रहा है की पृथ्वी ही ऐसा एकमात्र ग्रह है, जिसपर ही केवल मानवी सभ्यता मौजूद है। लेकिन कुछ साल पहले वैज्ञानिकोंने यह प्रतिपादित किया की पृथ्वी जैसे जिन्दा और पानीवाले कई ग्रह ब्रम्हांड में स्थित है। हाल ही में वैज्ञानिकोंने ऐसे सात ग्रह ढूंढ निकाले है, जिन का ईको सिस्टीम बिल्कुल हमारे पृथ्वी के ईको सिस्टीम से मेल खाता है.. मतलब हम यह कह सकते है की हूबहू पृथ्वी जैसा ही एक ग्रह ब्रम्हांड में मौजूद है। इतना ही नहीं हम पृथ्वीवासियों के प्रतिरूप के समान मेल खानेवाली कैरेक्टर्स वहां उस ग्रहपर अपना जीवन व्यतीत कर रहे है, बिल्कुल हमारे ही जैसा! इसे विज्ञान की भाषा में पैरलल यूनिव्हर्स कहते है।  इन सभी बातों के अनुसार पृथ्वी की कार्बन कॉपी जैसे ग्रह भी निश्चित रूप से ब्रम्हांड में चक्कर लगा रहे है। यह हम से कितनी दूरींपर है इसका अंदाजा हम नहीं लगा सकते। हमारी मिल्की वे गैलेक्सी ब्रम्हांड में होकर, यह सभी गैलेक्सीज विस्तार होते हुए एक दूसरे से दूर जा रहे है। यह हुवा एक हमारा यूनिव्हर्स! पर ऐसे कितने ही यूनिव्हर्स हमारे यूनिव्हर्स के कक्षा रेखा से काफी दूर दूर तक फैले है। जिन में कई गैलेक्सीज मौजूद है और ऐसी गैलेक्सीज में कितनी तो सूर्यमालायें और उन सूर्यमाला में कितने तो ग्रह इस पैरलल यूनिव्हर्स में स्थित है। ऐसी अनगिनत पैरलल यूनिव्हर्स ब्रम्हांड में फैले हुए मिलेंगे। किसी एक पैरलल यूनिव्हर्स से आये कई लोग जो की हमारे पृथ्वीवासियों के ही हमशकल थे, वह पृथ्वीपर आकर पैरलल यूनिव्हर्स का जिक्र करते हुए पाए गए है। वहां उन का समय कुछ दस साल आगे चल रहा था तो किसी का दस साल पीछे ऐसी बहुत सारी कहानियाँ हमें सुनने मिलेंगी। फिर भी मन में एक प्रश्न खड़ा होता है की वाकई यह घटना सत्यरूप से घटित हुयी है या कोई मिथ है।..'


सुबह के साढ़े दस बज चुके थे। दिल्ली के एक फाइव्ह स्टार होटल 'अशोका इंटरनॅशनल' के डीलक्स स्वीट में इसरो की सीनियर सायंटिस्ट मिस अवंतिका टिव्हीपर डिस्कव्हरी सायन्स चॅनलपर चल रहा एक प्रोग्राम सुन रही थी। वैसे तो उसकी टीम की बारह बजे प्रधानमंत्री कार्यालय में विशेष बैठक में भाग लेनेवाली थी। अवंतिका पूरा थ्री पीस सूट पहनकर तैयार हो बैठी पैरलल यूनिव्हर्स के बारें में सुनकर समय व्यतीत क्र रही थी। वैसे डॉक्टरेट रही अवंतिकाने इसी विषय के बारे में काफी कुछ पढ़ रखा था, पर अभी ऐसी कोई घटना सामने नहीं आयी थी। इसरो की टीमने भविष्य में प्लान की गई मंगल यात्रा दौरान मंगल ग्रहपर अपने अवकाश यात्री भेजने के बारें में मुहीम प्लान की थी। जिस के बारें में चर्चा कर के पीएमओ से अनुमति लेनी थी। डिस्कव्हरी चॅनलपर चल रहे कार्यक्रम के बिच ऐड का सिलसिला शुरू हुवा और अवंतिका ने टीव्ही को म्यूट कर दिया और मॅगझीन के पन्ने उलटते नजर दौड़ाने लगी। अचानक से उस के सेलफोन की घंटी बजने लगी। उसने देखा स्क्रिनपर इसरो के चीफ डायरेक्टर स्वामीनाथन का नाम डिस्प्ले हो रहा था। उसने तुरंत कॉल रिसीव्ह की और हैलो कहा। 


"हैलो... अवंतिका! तुम्हें तैयार होने में कितना समय लगेगा..?"


"जी... बस में तैयार होकर ही बैठी हूँ... कहिये क्या हुक्म है।" अवंतिका ने जवाब दिया। 


"तुम अभी के अभी देहली एयरपोर्टपर पहुँच जाओ... वहांपर कुछ ऐसी घटना घटी है, जो इस वक्त बता नहीं पाउँगा... लेकिन कुछ  दूसरे ग्रह से आया कोई अवकाशयात्री का संदिग्ध वाकया लगता है। अभी अभी देहली के होम मिनिस्ट्री में इसी तरह की कंप्लेंट एनआईए की तरफ से दर्ज कराई गई है। हो सकता है यह शख्स आतंकवादी भी हो सकता है, पर वह तो कुछ अजीब अजीब सी बातें कह रहा है। तुम फ़ौरन इमिग्रेशन ऑफिसर राकेश वर्मा से जाकर मिलो और देखो तो क्या वाकया है। मैंने होम मिनिस्टर साहब से सारी परमिशन्स ले रखी है, एयरपोर्टपर सभी ऑफिसर्स तुम्हे सहयोग देंगे। तो तुम अभी इसी वक्त निकल रही हो ना...?"


"जी... जी सर। बस में जूते पहन लूँ और बिना समय गवाए टैक्सी लेकर एयरपोर्ट जाती हूँ। आपन निश्चिंत रहे... में आपको रिपोर्ट देती रहूँगी।" अवंतिका ने फोन कट कर के तैयारी में जुट गई। 


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सुबह के दस बज चुके थे। इंदिरा गाँधी इंटरनेशनल एयरपोर्टपर रोजमर्रा की तरह चहलपहल हो रही थी। पूरा एयरपोर्ट एकदम से बिझी हो चूका था।  देहली से बाहर देश जानेवाले या बाहर आनेवाले यात्री अपना अपना काम करने में जुटे हुए थे। यूरोप कंट्री से आया पैनऍम एयरलाईन्स का बड़ा हवाईजहाज एयरपोर्टपर लैंड हो चूका था। पैसेंजर्स प्लेन से बहार निकलकर टर्मिनल बिल्डिंग में चले आ रहे थे। चेकआउट काऊंटरपर मुसाफिरों की भीड़ दस्तावेज चेक कराने हेतु कतार बनाकर कड़ी थी। पैसेंजर्स इमिग्रेशन से क्लियरेंस मिलते ही तुरंत काउंटर से हटकर एक्झिट गेट की तरफ जा रहे थे। काऊंटरपर सीनियर इमिग्रेशन ऑफिसर मि. राकेश शर्मा तथा उसके सहकारी गण मुसाफिरों ने डेक्स पर रखे पेपर तथा वीजा और पासपोर्ट चेक करा के स्टैम्प लगते रहे। धीरेधीरे भीड़ कम होते गई और कुल पाँच छह ही लोग अब कतार में खड़े थे। दो मुसाफिर काउंटर से हटने के बाद एक बिझीनेसमेन जैसे दिखनेवाला कोट टाय पहने स्मार्ट आदमीने अपने वीजा के पेपर्स तथा पासपोर्ट डेक्सपर आगे बढ़ाया। राकेशने पेपर्स चेक करके कुछ एंट्रीज चेक कराई... सभी बराबर तो थी और स्टैम्प भी ओरिजिनल लग रहे थे। उसने पासपोर्ट बंद किया तभी उस की नजर पासपोर्ट के फ्रन्ट कव्हर पर पड़ी। पासपोर्ट कव्हरपर रिपब्लिक ऑफ़ लान्सानिया यह अनोखा नाम देखते ही राकेश एकदम चौंक गया... उस ने अपने साथियों को वह पासपोर्ट दिखाया तो सभी की भौंहे तनी सी रही और चेहरेपर आश्चर्य के भाव मंडराने लगे। उन्होंने उसे नकारते हुए वापस राकेश के पास सौंप दिया। राकेश उस व्यक्ति के तरफ आँखों से इशारा करते हुए एक्सप्लेनेशन हेतु देखा। 


"सो... मिस्टर जेम्स हिल्ट्न यु फ्रॉम विच कंट्री...?" राकेश अपने चेहरेपर ताज्जुब जताते हुए भौंहे ऊपर खींचकर उसे घूरकर सवाल किया। 


"इट इज मेन्शन देअर नो..? बाय दी वे आय ऍम सेसिडेंट ऑफ़ कंट्री लान्सानिया... डू यु हॅव एनी प्रॉब्लम..?"


"येस... मिस्टर जेम्स प्रॉब्लम इज देअर... मैंने जिंदगी में कभी ऐसे किसी देश का नाम नहीं सुना..!"


"आपने नहीं सूना मतलब..? क्या में झूठ बोल रहा हूँ.. में इतने साल से बिझीनेस हेतु दुनिया घूमकर आया हूँ... आप सारी एन्ट्रीज और वॅलिडिफिकेशन देख सकते हो... पासपोर्टपर लगी सभी स्टैम्प्स भी जीन्युईन ही है... आप को इस में संदेह हो रहा है..?" जेम्सने झल्लाकर ग़ुस्सेभरी आखों से राकेश को घूरते हुए कहा। 


"येस... मिस्टर जेम्स ! नो डाउट ऑल दी स्टैम्प्स टू बी जीन्युईन... लेकिन साहब लान्सानिया ऐसा कोई भी देश इस धरतीपर है ही नहीं। अच्छा चलो ये तो बताओ यह देश है कहांपर..?"


"लान्सानिया यह देश स्पेन और फ़्रांस के साउदर्न बॉर्डरपर है... यु कॅन चेक दी सेम ऑन गूगल..!"


"सर... आय हॅव ऑलरेडी चेक्ड ऑन गूगल पर कहीं भी इस का जिक्र नहीं... यु कॅन सी ऑन माय कंप्यूटर..!"


"मुझे तुम्हारे अधूरे नॉलेज से कुछ लेना देना नहीं... मेरे पेपर्स क्लियर करा दो ताकि में अपने होटल जाकर फ्रेश होने के बाद ठीक बारह बजे एबीएम कंप्यूटर इंटरनॅशनल लि. के दफ्तर पहुँच सकू... मेरी अपॉइंटमेंट फिक्स है वहां... मिस्टर जोसेफ वर्गीस, अ सीईओ ऑफ़ कंपनी मेरा इंतजार कर रहा है।" जेम्सने बैग से एबीएम इंटरनॅशनल कंपनी का अपॉइंटमेंट लेटर और होटल बुकिंग की रसीद निकालकर राकेश को दिखते हुए कहा। राकेशने पेपर्स हाथ में लेकर देखने का बहाना करके इंटरकॉम फोनपर धीमी आवाज में सिक्युरिटी चीफ महेंद्र सींग को उस के काऊंटरपर आने को कहा। 


"हाँ... जेम्स लेटर तो सही लगता है... मैं इसी में दिये फोन नंबरपर बात करके व्हेरिफाय करू तो आप को कुछ आपत्ती नहीं होगी न..?" राकेश जेम्स से बात ही कर रहा था की अचानक सामने से महेंद्र सींग को आते देखकर हाथ उठाया। कॅप्टन महेंद्र सींग काउंटर के पास आकर रुक गया, राकेशने जेम्स की तरफ इशारा करते हुए उसे पूरी हकीकत बतायी। महेंद्र सींग भी अचरज से पासपोर्टपर सुनहरे अक्षरों में लिखा रिपब्लिब ऑफ़ लान्सानिया का नाम देखकर हैरानी में पड़ा। 


"जेम्स.. मेरी बात मानोगे, इसपर दिखाया गया देश इस दुनिया में कहीं भी स्थित नहीं है।  तुम्हे कुछ ग़लतफहमी हुई है या आप झूठ बोल रहे हो। बाय द वे जरा बताईएगा... यह पासपोर्ट तुम्हे कहाँ से इश्यू हुवा है..?"


"साहबजी... आप भी..? लान्सानिया यह देश स्पेन और फ़्रांस की बॉर्डर एरियाज में बसा छोटा सा देश है और मुझे वहीँ से यह पासपोर्ट इश्यू हुवा है और वीजा देनेवाले देश भी मुझे अप्रूव्हल देते रहे है... आपने एंट्रीज नहीं देखी..?"


"सब कुछ सही है एक लान्सानिया नाम छोड़कर और आप कह रहे, आप बारबार यूरोप कंट्रीज में बिझीनेस हेतु घूम रहे है... मतलब आप की जॉब ही मार्केटिंग फिल्ड से है। सही बताइये आप कहाँ से आ रहे हो..?"


"जी मैंने फ़्रांस के एयरपोर्ट से फ्लाईट ले राखी थी और अब इंडिया आ गया हूँ।" जेम्स महेंद्र को बताते हुए पासवाले टूरिस्ट लाउंज में रखी चेयरपर बैठ गया। उसे के अगलबगल में महेंद्र के साथ आये चार सिक्युरिटी गार्ड्स उसे घेरकर खड़े हो गए। जेम्स बारबार घड़ी देखता रहा, शायद उस की परेशानी बढ़ रही थी। राकेशने लेटरपर दिये फोन नंबरपर कॉल किया... दूसरी ओर से फोन उठाने की आवाज सुनते ही राकेश चौकन्ना हो उठा और हैलो बोला... 


"हैलो... हैलो..! क्या मैं एबीएम कप्यूटर कंपनी से बात कर रहा हूँ... मुझे सीईओ या उन के नेक्स्ट कोई जिम्मेदार ऑफ़िसर से बात करनी है। जी... जी मैं राकेश शर्मा देहली एयरपोर्ट के इमिग्रेशन विभाग से बात कर रहा हूँ।"


"राकेशजी जरा होल्ड करो... हमारे एडमिन संदीप शेखावत आप से बात करेंगे।" किसी महिला ऑपरेटरने मीठी आवाज में कहा। 


"हाँ... जी! मैं संदीप बात कर रहा हूँ... कस्टम डिपार्टमेंट को आज हम से क्या काम पड़ गया भाई..? एनी प्रॉब्लम सर..?"


"हाँ... सर! सर बात यह है की... राकेशने पूरा वाकया उसे फोनपर बताया!"


"वेट.. राकेश..! आय विल चेक द अपॉइंटमेंट्स टुडेज अँड इन्फॉर्म यु इमिजिएटली... यु कॅन होल्ड द फोन..!" दूसरी ओर से कंप्यूटर हैंडिल करने की तथा धीमी आवाज में किसी के साथ संदीप की बोलचाल सुनाई दे रही थी। दो मिनिट बाद संदीप की आवाज सुनते ही राकेशने हैलो कहा। 


"हाँ... राकेश सर संदीप हिअर। सर ऐसे किसी भी जेम्स हिल्ट्न नामक व्यक्ति की कोई भी अपॉइंटमेंट तय नहीं हुई है और ना की बिझीनेस के सिलसिले में इस व्यक्ति का नाम रजिस्टर्ड है.., मुझे तो फेक लगता है वह आदमी। क्या आप वह लेटर फैक्स करा सकते हो तो असलियत पता चल जाएगी।"


"ओके... संदीप आय ऍम सेंडिंग फैक्स टू यु जस्ट नाऊ। थॅंक्स फॉर द को-ऑपरेशन।"


"यु आर वेलकम सर..!" संदीपने फोन रख दिया था। 


राकेश एबीएम कंपनी में बात कर रहा था, इस दरमियाँ महेंद्र ने होटल सेव्हन हेवन्स की रूम ऐडव्हान्स बुकिंग रसीदपर दिये फोन नंबर से सपर्क किया था।  रसीद का सीरियल नंबर तथा पैसेंजर का नाम और पेमेंट डिटेल्स आदि कहीं भी रिझर्व्हेशन लिस्ट से मेल नहीं खाती है ऐसा बताते हुए होटल की मैनेजमेंट की तरफ से वह बुकिंग फेक होने के बारें में बताया गया। जेम्स हिल्टन नाम के किसी व्यक्ति के लिये कोई बुकिंग नहीं पायी गई थी। होटल में कन्फर्म्ड होने के कुछ मिनिट बाद महेंद्र ने दिल्ली पुलिस इंटिलिजेंस के ऑफिस में फोन कर के पूरा वाकया बताया था। वह व्यक्ति आतंकवादी होने की आशंका से वहीँ से देखते देखते वहीँ से सारी इन्फॉर्मेशन एनआइए से होते हुए होम मिनिस्ट्री तक जा पहुँची थी। आजकल आतंकवादी हमलों के कारण ऐसी छोटी घटना को महत्व देते हुए दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था सर्वतोपरी अहमियत दे रही थी। तुरंत सरकारी मशीनरी कार्यरत हो चुकी थी। खबर होम मिनिस्टर पहुँची तब इसरो के डायरेक्टर स्वामीनाथन वहींपर मौजूद थे। उन्होंने सारी हकीकत सुनने के बाद मंत्रीजी को आश्वस्त कराया की यह कोई गुनहगारी संबधित केस ना होकर स्पेस में घटनेवाली कोई सायंटिफिक घटना हो सकती है और उन के साथी साईंटिस्ट इसपर प्रकाश डाल सकते है। तो केस इसरो के साईंटिस्ट लोगों को हैंडिल करने दिया जाये। गृहमंत्रीजीने अपना अप्रूव्हल देते हुए संबंधित विभागों को सीनियर साईंटिस्ट अवंतिका को मदद करने के ऑर्डर्स दिये गए। अवंतिका बस अभी इंदिरा गाँधी इंटरनेशनल एयरपोर्टपर दाखिल ही हो रही थी की स्वामिनाथनने उसे आगे की कारवाही के निर्देश दने हेतु फोन किया।


"यार... राकेश यह क्या..? एबीएम कंपनीवालोंने भी पल्ला झाड़ दिया... और होटलवाले भी मना क्र रहे है, ऐसे किसी भी नाम के व्यक्ति की उन के पास कोई बुकिंग नहीं थी... अब इसे अरेस्ट करे यार फिर..?" महेंद्र राकेश को पूछ रहा था की अचानक उस का फोन बजने लगा। महेंद्र को एनआईए की तरफ से सूचनाएं दी जा रही थी। महेंद्र ने स्वीकृतदर्शक सर हिलाया और काउंटर  के पास आकर खड़ी एक सुन्दर सी लड़की की तरफ देखकर सल्यूट ठोका। 


"मैं अवंतिका... सीनियर साईंटिस्ट इन इसरो..! मुझे उस शख्स से जरा मिलाइये तो... और नाम क्या है, उनका..?" अवंतिका ने उसकी और आँखे फाडफाडकर देख रहे महेंद्र से कहा। 


"जी... जेम्स हिल्टन...!"


"मतलब... वह फेमस ऑथर..?"


"जी... नहीं..! यह एक बिझीनेसमैन है, और देखिये वहां पैसेंजर्स लाउंज में चेयरपर बैठा हुवा है..!" महेन्द्रने अंगुली से थोड़े ही दूर बैठे एक शख्स की ओर इशारा करते हुए कहा। 


"ओके... अब मैं उस से बात करुँगी... कोई भी बिच में नहीं आयेगा।।?"


"जैसा आप मुनासिब समझो..!" महेंद्र सिंगने जबाब देते हुए कहा। अवंतिका उसे काऊंटरपर छोड़कर जेम्स की तरफ चलकर आने लगी। 


"हैलो मिस्टर जेम्स... कैसे हो आप..?"


"जी... काफी परेशान हूँ, पर आप...?"


"जी... मैं अवंतिका यहाँ की एडमिनिस्ट्रेटिव्ह विभाग से हूँ... मैं आप की कुछ मदद कर सकती हूँ..?"


"जी.. जी..! मैं आपका बहुत शुक्रगुजार रहूँगा... यहाँ मुझे बिना किसी वजह से परेशान किया जा रहा है... कहते है लान्सानिया नाम का कोई देश है ही नहीं हमारे प्लैनेटपर?"


"हाँ... हाँ...? जरूर हो सकता है, मैं आप को वर्ल्ड मैप दिखती हूँ आप बस उसी में पॉइंट आउट करा के दिखा दीजिएगा!"


"मतलब आप भी यहीं मानती हो..? यह हो क्या रहा है, भाई..? ओके मिस... क्यों नहीं जरूर दिखा दूँगा अभी..!" अवंतिकाने काऊंटरपर बैठे मोटे शख्स को इशारा कर के अपने पास आने का इशारा किया। सीनियर इमिग्रेशन ऑफिसर राकेश तुरंत उठकर अवंतिका की तरफ आया। अवंतिका ने उसे वर्ल्ड मैप मुहैय्या कराने को कहा। राकेशने अपने असिस्टेंट को फोनपर बात कर मैप लाने कहा। एयरपोर्ट ऑथोरिटी स्टाफ से स्काई कलर यूनिफॉर्म पहनी एक सुन्दर सी लड़की हाथ में मैप रोल कर के उन्ही की ओर आती दिखाई पड़ी। अवंतिकाने राकेश से सारे पेपर्स ले आकर उस व्यक्ति को किसी केबिन में बिठाने का प्रबंद करने को कहा। मैप ले आयी लड़कीने मैप का रोल अवंतिका के हाथों में थमाया औऱ वहाँ से निकल पड़ी। राकेशने जेम्स और अवंतिका को साथ लेकर एक अतिरिक्त केबिन में ले आया और दोनों को टेबल के पास की चेअरपर बैठने को कहकर वह पेपर्स लाने अपने काउंटर की ओर चल पड़ा। अवंतिकाने मैप खोलकर सीधा किया और एक पेन्सिल उठाकर जेम्स को दे दी और नजरों से इशारा किया। जेम्सने मैप स्टडी करते हुए फ़्रांस और स्पेन कंट्रीज की सीमा रेखा के पास पेंसिल से एक बिंदु बनाया और अवंतिका की तरफ सवालिया नजरों से देखने लगा। अवंतिका एकदम हिल सी गई क्योंकि जेम्सने पॉइंट आउट किया वह एक छोटासा देश एंडोरा था ना कि लान्सानिया। अवंतिका उस से बिना बहस करे मन ही मन कुछ सोचते, सर निचे किये बारबार उस बिंदु को देखती रही। जबतक राकेश जेम्स के सारे पेपर्स ले आया और अवंतिका को सोंप दिया। अवंतिका सभी पेपर्स चेक कर रही थी उस में आपत्तिजनक कुछ भी नहीं था... सही तो थे सारे पेपर्स..! उसने एबीएम कंपनी का लेटर और होटल की बुकिंग रसीद हाथ में उठा रखी थी और ध्यान से पढ़ रही थी। लेटर की डेट देखकर किसी शक की गुंजाइश से उस की आँखें चमक उठी। उसने जेम्स से पूछा।


"जेम्स सर... आप अभी कौनसे साल में हो.. मतलब आज की डेट क्या है..?"


"जी.. २४ अक्टूबर २०२१..!"


"आर यू श्युअर..?" अवंतिका ने देखा कि पेपर्सपर लिखी तारीख २०२१ ही थी। मतलब पैरलल यूनिव्हर्स में रही कोई जुड़वा पृथ्वी का साल २०२१वा साल हमारी पृथ्वी से दस साल आगे चल रहा होगा..? अवंतिका मन ही मन सोच रही थी।


"यस... श्युअर मैम..!"


"फाईन... वैसे भारत में आने का कारण.?"


"जी... देखिये ना..! आज भारतने हर क्षेत्र में कितनी प्रगति कर रखी है... उस के मुकाबले के बराबर शायद ही कोई देश हो। स्पेस प्रोग्राम में एन्टी ग्रेविटी जैसी और भी नई नई टेक्नोलॉजी अडॉप्ट कर रखी जो आज किसी देश के पास नहीं... आज पूरी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है। मैं एक बिजनेसमैन की हैसियत से लेटेस्ट एंड न्युअली डेव्हलप्ड टेक्नोलॉजीवाले कम्प्यूटर्स खरीदफरोख्त करने आया हूँ... जिसे दूसरे देशों में सेल कर तगड़ा मुनाफा कमा सकता हूँ। वैसे मैं बहुत सारे देश घूम आया हूँ पर भारत जैसा डेव्हलप्ड देश कहीं भी नहीं मिला... भारत ही यह एक ऐसा देश है जो इक्कीसवीं सदी में हर फील्ड में मास्टरी लिये बैठा है, चाहे वह आयुर्विज्ञान हो या स्पेस टेक्नोलॉजी या ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स सभी में मास्टरी हासिल की है। लेकिन ताज्जुब हो रहा है कि मेहमानों प्रति यहाँ के लोगों का रवैय्या कुछ ठीक नहीं।" जेम्स कहते जा रहा था।


"क्या आप दस साल पहले भारत आये थे..? पासपोर्ट तथा वीजा पेपर्सपर लिखी तारीखें ऐसा बयाँ कर रही है।"


"अवंतिका इस का क्या मतलब हो सकता है..?" राकेश धीरे से अवंतिका के कान में फुसफुसाया। जेम्स का ध्यान कही ओर लगा हुआ था।


"अरे... यह भविष्य में दस साल आगे का जेम्स हमारे सामने बैठा है, यह हमारे ग्रह का वासी ना होकर किसी डायमेंशन के जरिये पृथ्वीपर पृथ्वी जैसेही दूसरे प्लैनेट से यहाँ ऍक्सीडेंटली आ पहुंचा है। शायद चौथे आयाम से आते वक्त कुछ गलती होने के कारण यह शख्स हमारे पास आ पहुंचा है। मेरा मतलब पैरलल यूनिवर्स से..! हमारे पृथ्वीपर भविष्य में दस साल आगे ऐसी ही बहुत कुछ जबरदस्त डेव्हलपमेंट होनी है, बिल्कुल जैसे यह बयान कर रहा है।"


"मैम... मेरे तो कुछ भी पल्ले नहीं पड़ रहा है, और ये पैरलल यूनिवर्स होता क्या है..?" राकेशने झल्लाते हुए सिर को हाथ लगाकर कहा।


"कल तुम आना मेरे पास फिर तुम्हारा क्लास लुंगी और बताउंगी भी... फिलहाल आप इसे दिल्ली के होटल में ठहराएंगे और कल सुबह हमारी इसरो की टीम इस का पता लगाने होटल आ ही जाएगी।" अवंतिका बता ही रही थी कि जेम्सने अपने जेब से कुछ करंसीज निकालकर एविडेंस के तौरपर टेबलपर रखी। अवंतिका ने देखा सभी नोट्स और कॉइन्स इसी साल के शुरू में बने थे और आगे भी २०३१ तक भी कारोबार में चल सकते थे। अवंतिका का शक गहरा होते जा रहा था। जेम्स उस से कुछ और पूछे इससे पहले अवंतिका बोल पड़ी।


"मिस्टर जेम्स मैं मुआफ़ी चाहती हूँ... कुछ पेपरवर्क करने हेतु आप को आज हमारे साथ रहना होगा... चिंता की कोई बात नहीं दिल्ली के फाइव्ह स्टार होटल में आप को रखा जाएगा... कल सुबह तक यह लान्सानियावाला मामला सेटल हो जाता है तो आप को बाइज्जत छोड़ दिया जाएगा इतना ही नहीं पूरा सहयोग देकर आप जहां जाना चाहते हो वहींपर पहुँचा भी दिया जाएगा। फिलहाल आप वैसे ही कीजियेगा जैसा मैं कहु... हमारी मुलाकात कल सुबह होगी... तबतक यह सारे पेपर्स हमारे कस्टडी में रहेंगे। ओके..? हैव अ नाईस डे एंड एन्जॉय... बाय।" इतना कहकर अवंतिका केबिन से बाहर आ गई और स्वामीनाथन से फोनपर बात कर के बताया कि.....


"सर... यह माजरा सब पैरलल यूनिवर्सवाला है, जेम्स सन २०३१ में से २०२१ के प्लेनेट हमारी पृथ्वीपर गलती से आ पहुंचा है... हमारी इन्वेस्टिगेशन के लिए बड़ा अच्छा मौका चलकर आया है। फिलहाल उसे होटल अशोका इंटरनेशनल में मेरे ही बगलवाले सूट में रखा जाए... उस का प्रबंद आप करेंगे।"


"गुड़ अवंतिका... व्हाट अ वंडरफुल अचीवमेंट.., बधाई हो। अच्छा वहाँ के अफसरों से कहा जाए कि जेम्स को लेकर होटल अशोका पहुंच जाए और तुम शीघ्रहि चली आवो... यहाँपर कुछ ही समय के अंदर पीएमओ में मीटिंग शुरू होने जा रही है।" इसरो के चीफ डायरेक्टर साहबने अवंतिका की समस्या दूर कर दी थी। 


अवंतिका ने महेंद्र सींग को बुलाकर पूरी जानकारी दी और जेम्स को होटल पहुँचाने और कमरे के बाहर अपने सिक्युरिटी के दो आदमी तैनात करने को भी कहा। राकेश को भी सूचना दी की जेम्स के सारे पेपर्स बड़ी हिफाजत के साथ कस्टडी में रखा जाए। सब मामला सेट करा कर अवंतिका एअरपोर्ट से टॅक्सी लेकर पीएमओ के लिए निकल चुकी थी।


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२४ अक्टूबर...! होटल अशोका में इसरो साइंटिस्ट लोगों की टीम तथा एअरपोर्ट अथॉरिटीज की तरफ से राकेश और महेंद्र सींग तथा एनआईए के उच्च अफसरों की टीम पहुँच चुकी थी। स्वीट नं. ५०४ अभी भी लॉक ही था। बहार दो सिक्युरिटी के जवान रातभर पहरा देते हुए बड़ी मुस्तैदी से खड़े थे। स्वीट के अंदर रहे जेम्स को बाहर से पुकारा गया तथा डोअर बेल बजाई गई। लेकिन स्वीट के अंदर से कुछ भी रिस्पॉन्स नहीं आ रहा था। होटल के स्टाफ से चाभियाँ लाकर स्वीट का दरवाजा खोला गया और सभी लोग स्वीट के अंदर की ओर दौड़ते आये। अवंतिका और स्वामीनाथन स्वीट के अंदर बेडरूम, बालकनी, बाथरूम्स आदि टटोलते दौड़ रहे थे... अंदर कोई भी नहीं था। बेशक जेम्स वहाँ से छू मंतर हो चूका था। लेकिन स्वीट में बंद होने के बावजूद भी... और पंद्रह मंझिल से..? हार्डली इम्पॉसिबल..! अवंतिका और स्वामीनाथन एक दूसरे की शक्ल निहारते अचरजभरी निगाहें स्वीट में सभी ओर नजरे गड़ाकर खड़े थे। अवंतिका ने राकेश से फोन कर के कन्फर्म करने को कहा की जेम्स के सारे पेपर्स सुरक्षित है भी या नहीं..? राकेशने तुरंत फोन कर के कस्टोडियन से पेपर्स के बारें में पूछा तो जवाब सुनतेही राकेश मुँह लटकाकर जैसे बूत बना खड़ा रहा... उस के माथेपर शिकन देखकर अवंतिका समझ गयी थी की सारे पेपर्स रखा एन्वेलप गायब हो चूका था। लेकिन यह हुवा कैसे सभी लोग अवंतिका से पूछने लगे।


"इस में कोई शक की गुंजाईश नहीं, वह शख्स पृथ्वी की कार्बन कॉपी हो ऐसे पैरलल यूनिव्हर्स के किसी गृह से आया था। ऐसी किसी गलती से टेलीपोर्टेशन होकर बंदा हमारी पृथ्वीपर आ पहुँचा था और उसी टेलीपोर्टेशन डिव्हाईस से वह अपने सभी डॉक्युमेंट्स सहित अपनी दुनिया में भविष्य में मतलब सन २०३१ में वापस चले गया था। आप तो जानते हो हमारा शरीर तथा हमारे ग्रह परमाणु से बने है... ऐसे ही परमाणु से दूसरी दुनिया के पृथ्वी जैसा ग्रह और बिलकुल हमारी तरह ही एक जैसे दिखनेवाले इंसान बने है और इस ब्रम्हांड में कही ना कही तो मौजूद है ही... इसे हम पैरलल यूनिव्हर्स कहते है। लेकिन वहाँ जाने की यह एक जटिल और ऐसे रहस्यमय तथा हमारी बुद्धि से तो परे सूत्रों से बानी टेलीपोर्टेशन तकनीक पृथ्वीवासियों को अभी तक हासिल नहीं हुई पर सन १९५२ में महान साइंटिस्ट तथा इलेक्र्टिकल इंजिनियर निकोला टेसलाने इस का डिझाईन तैय्यार किया था और उसने कई बार समययात्रा कर के ऐसे पैरलल यूनिव्हर्स में सफर करने का दावा तक किया था। सच या झूठ यह मैं नहीं जानती पर अमेरिका के नासा में उसी डिझाईनपर काम करना शुरू हो चूका है... अब आनेवाले भविष्य में हम भी टेलीपोर्टेशन के जरिये जेम्स को ढूंढने दूसरी पृथ्वीपर जा सकते है इस में कोई दो राय नहीं।" अवंतिका कहते जा रही थी की आसपास खड़े सभी लोग तालियाँ बजाकर उस की बातपर सहमत होते दिखाई दे रहे थे।


समाप्त


#लेखनी

#लेखनी कहानी

#लेखनी कहानी सफर

















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6 Comments

Sunanda Aswal

25-Oct-2021 11:57 AM

बहुत सुंदर

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pk123

25-Oct-2021 12:39 PM

Thanks

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Gunjan Kamal

25-Oct-2021 11:28 AM

Very nice 👌

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pk123

25-Oct-2021 11:37 AM

Thanks

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Niraj Pandey

25-Oct-2021 11:14 AM

👌👌👌

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pk123

25-Oct-2021 11:18 AM

Thanks

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